जैसे-जैसे कार्य पूर्ण होता रहता है वैसे-वैसे मनुष्य की इच्छाएं बढ़ती रहती है धीरे-धीरे मन में हजारों ख्वाब घूमने लगते हैं सपने टूटने पर दुख में वृद्धि होने लगती है
हम मन को जिस सांचे में ढलते हैं वह वैसा ही रूप धारण कर लेता है किसी कार्य को सोच समझकर धैर्य से करना चाहिए ज्ञान ही भ्रष्टाचार को खत्म कर सकता है
दो रास्ते एक मंजिल तक पहुंचते हो एक रास्ता खराब हो जिसकी दूरी कम हो दूसरा रास्ता जो सही हो जिसकी दूरी काफी अधिक हो मंजिल तक जाने के लिए सही रास्ते का उपयोग करना चाहिए