दर-दर ठोकर खा रहा हूं अपनी खुदगर्जी से काश अपने दिल को समझा पाया होता, ना अपने दिल की फरमान लिए उसके पास जाता ना उसकी तीखी बातों का दर्द मुझको मिलता
हिंदी शायरी | शायरी संग्रह | अच्छी शायरी | हिंदी में लिखा हुआ शायरी | मनोज कुमार
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