सर दर्द शायरी इन हिंदी तुम्हें क्या पता किस हाल में जी रहे हैं जिंदगी का जहर घुट घुट कर पी रहे हैं तुमको सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध करना था सच कह रहा हूं दर्द इतना ज्यादा बढ़ गया है आजकल मुझे कुछ दिखाई नहीं देता है तन्हा जीने पर मजबूर हूं - दर्द शायरी ख्वाहिश थी तुम्हें अपना बनाएंगे मगर अपनाने का हर तरीका फेल हो गया मेरे जिंदगी के साथ अजब गजब का खेल हो गया अधूरी चाहतों में तन्हा जीने पर मजबूर हूं
आपके चाहतों का असर मुझ पर ऐसा हुआ मैं खुद से बेकाबू हो गया अब खुद को संभाल पाना मुश्किल तो है इजहार करने का इंतजार है इजहार करने से पहले जो प्यार मुझको मिला अनमोल है